फर्स्ट स्टेज में ही लगेगा ब्रेस्ट कैंसर का पता

 ट्रिपलआईटी प्रयागराज के सहायक प्रोफेसर डा. आशुतोष कुमार सिंह की टीम ने ब्रेस्ट कैंसर का आरंभिक स्तर पर पता लगाने की एक नई तकनीक विकसित की है। इस नई तकनीक से न सिर्फ फस्र्ट स्टेज (आरंभिक स्तर) पर ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का पता चल सकेगा बल्कि प्रतिवर्ष हजारों भारतीय महिलाओं की जान भी बचाई जा सकेगी।
डा. आशुतोष कुमार सिंह ने बताया कि इस तकनीक में कैंसर के संदिग्ध मरीज के स्तन का थर्मल कैमरे से थर्मल इमेज लिया जाएगा। इसके पश्चात थर्मल इमेज का विश्लेषण किया जाएगा। इससे ब्रेस्ट मैं कैंसर या ट्यूमर की साइज आकार व स्थान का पता लगाया जा सकता है। डा. आशुतोष ने बताया कि पिछले दिनों यूनाइटेड किंगडम के इंजीनियर मैट हावर्ड एवं उनकी टीम के सहयोग से भारत में उपलब्ध डाटा के आधार पर एक साफ्टवेयर (स्कैन आईपी) के माध्यम से ब्रेस्ट माडल तैयार किया गया। यदि ब्रेस्ट माडल एवं एमआर इमेज के डिस्काम फाइल से बनाए गए ब्रेस्ट माडल में कैंसर की लोकेशन समान स्थान पर पाई जाती है तो ब्रेस्ट थर्मोग्राफी बहुत ही कारगर साबित होगी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक में कोई रेडिएशन उत्पन्न नहीं होता। जिससे स्वस्थ कोशिकाओं को कोई हानि नहीं पहुंचती। जबकि फिलहाल इस्तेमाल की जा रही तकनीक मैमोग्राफी एवं एमआरआई में रेडिएशन के कारण स्वस्थ कोशिकाओं को हानि पहुंचती है। अहम बात यह कि बेहद सस्ती होने के कारण ब्रेस्ट थर्मोग्राफी की सुविधा हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आसानी से उपलब्ध कराई जा सकेगी।

जिससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का आरंभिक स्तर पर पता लगाया जा सकेगा। डा.सिंह ने बताया कि स्तन के जिस भाग में कैंसर होता है वहां कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि हो जाती है। इसके कारण रक्त वाहिकाओं में से रक्त के प्रवाहित होने में रुकावट उत्पन्न होती है और स्तन के उस भाग का तापमान अधिक हो जाता है। थर्मल इमेज के विश्लेषण के समय स्तन के जिस स्थान का तापमान अधिक होता है उसका रंग आसपास से भिन्न हो जाता है। इस प्रकार कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि जो कैंसर का मुख्य कारण है का पता लगाया जाता है।

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