New Drone Policy : अब किराए पर मिलेगा ड्रोन, सरकार इन सेवाओं में करेगी उपयोग

टेक डेस्क। देश में अब कई कार्यों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। जल्द ई-कॉमर्स कंपनियां ड्रोन को किराए पर दे सकेंगी। इसकी बुकिंग ठीक उसी तरह होगी जैसे कैब बुक की जाती है। ड्रोन की सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियां इसके लिए एप तैयार करवा रही हैं। ड्रोन का इस्तेमाल खेती, ई-कॉमर्स डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स, निगरानी और मैपिंग और सर्वे में किया जा सकेगा। सरकार ड्रोन कमर्शियल पायलट परियोजना की घोषणा मार्च में कर सकती है।
16 कंपनियों ने दिखाई दिलचस्पी
इस तकनीक को आगे बढ़ाने वाली केंद्र सरकार की एजेंसी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) एक व्यावसायिक पायलट स्कीम को अंतिम रूप देने में जुटी है। इससे ड्रोन निर्माताओं को नए सिरे से बाजार विकसित करने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि उन्हें तैयार बाजार मिल जाएगा। इस योजना के तहत देश के विभिन्न स्थानों से 16 कंपनियों को न्योता देने पर विचार किया जा रहा है। ये कंपनियां निजी-सार्वजनिक साझेदारी (New Drone Policy) के तहत 12 महीने तक ड्रोन की सेवा मुहैया कराएंगी। हर कंपनियों को कम से कम 10 ड्रोन के साथ शुरुआत करनी होगी।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कार्यक्रम से जुड़े अफसरों का कहना है कि करीब 16 मंत्रालयों ने निजी ड्रोन विनिर्माताओं और ऑपरेटरों के साथ कंसोर्टियम में यह परियोजना शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है। कोयला, तेल, रक्षा, परिवहन, पुलिस और रेलवे के कई सार्वजनिक उपक्रमों ने भी इस परियोजना में दिलचस्पी दिखाई है। नीति (New Drone Policy) के तहत उन्हें इस परियोजना में भाग लेने के लिए पहली प्राथमिकता दी जाएगी। उसके बाद निजी क्षेत्र में एफडीआई निवेशकों को भी न्योता दिया जाएगा।
सरकार की ऐसी कई सारी योजनाओं में ड्रोन एक कारगर हथियार साबित हो सकता है। इसलिए सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए अगले तीन सालों के लिए 120 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। सरकार ने इस परियोजना के लिए 12 ड्रोन निर्माता और 11 ड्रोन कलपुर्जा निर्माता पहले ही चुन लिए हैं। इस योजना के जरिये सुनिश्चित किया जाएगा कि इन विनिर्माताओं के पास ईओडीबी परियोजना के जरिये ड्रोन के कार्मिशियल उपयोग के व्यावहारिक तरीके पहले ही हों।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय से लेनी होगी मंजूरी
जानकारों का कहना है कि देश में अभी ड्रोन उद्योग बहुत ही शुरुआत दौर में है। लेकिन सरकार की इस पहल से खस्ता हाल चल रहे स्टार्टअप और पीएलआई योजना का पूरा लाभ उठाने में मदद मिलेगी। ड्रोन का व्यावसायिक उपयोग करने वाली एजेंसी को नागरिक उड्डयन मंत्रालय से सभी आवश्यक लाइसेंस और मंजूरियां लेनी होंगी। इसके बाद ही वे इसका संचालन कर सकेंगे। वहीं जो राज्य ड्रोन का कमर्शियल उपयोग करना चाहते हैं, उन्हें इसे अधिक किफायती बनाने के लिए किराये में कुछ सब्सिडी देनी होगी। इसके साथ ही इसे चलाने के लिए एक व्यावहारिक किराया भी तय करना पड़ेगा, जो उपभोक्ताओं के साथ-साथ ऑपरेटरों को भी स्वीकार हो।
परीक्षण सफल रहने पर ईओडीबी राज्य को यह परियोजना सौंप देगी, ताकि वे इसे अगले स्तर पर ले जा सकें। जबकि नीति आयोग इसके लिए नीतिगत ढांचा (New Drone Policy) तैयार करेगा। ईओडीबी की नजर ड्रोन के वैश्विक राजस्व में 25 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने पर है। साल 2027 तक भारत में ड्रोन से कमाई 10 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
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