नामीबिया से भारत लाई गई मादा चीता शाशा की हुई मौत, सामने आयी ये बड़ी वजह

मध्य प्रदेश। भारत में 70 साल बाद चीतों को फिर से बसाने के लिए नामीबिया से मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क लाए गए चीतों में से एक मादा चीता की मौत हो गयी हैं. मादा चीता शाशा कई दिनों से बीमार थी,किडनी खराब होने से सोमवार सुबह वह अपने बाड़े में मृत मिली है।
गौरतलब हैं कि, भारत में 70 साल बाद फिर से चीतों को बसाने के प्रोजेक्ट चीता के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को रिलीज किया था। इन चीतों को पहले तो एक से डेढ़ महीने तक छोटे क्वारंटाइन बाड़ों में रखा गया। वहां उन्हें भैंसे का मीट खिलाया गया। फिर एक-एक कर इन चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया, जहां उनके खाने के लिए चीतल जैसे जानवरों को छोड़ा गया था। इन्हीं में शाशा की तबीयत बिगड़ी थी। उसे किडनी में इन्फेक्शन हो गया था। शाशा लंबे समय से बीमार थी।
जनवरी में बीमार हुई थी शाशा
मादा चीता साशा में 22-23 जनवरी को बीमार होने के लक्षण पता चले थे। इस दौरान शाशा खाना नहीं खा रही थी और सुस्त रह रही थी। इसके बाद उसे बड़े बाड़े से छोटे बाड़े में शिफ्ट किया गया। तब उसका इलाज करने के लिए वन विभाग ने इमरजेंसी मेडिकल रिस्पॉन्स टीम को कूनो भेजा था। शुरुआती लक्षणों में डीहाइड्रेशन और किडनी की बीमारी का पता चला था। साशा को बचाने के लिए वन विहार नेशनल पार्क से डॉ. अतुल गुप्ता को भी भेजा गया था। विशेषज्ञों ने उसे फ्लुइड चढ़ाया था, जिससे साशा की तबियत में सुधार भी दिखा था। विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों में किडनी की बीमारी होना सामान्य बात है। इसे प्रोजेक्ट चीता को झटके के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
कूनो में अब 19 चीते
भारत में 70 साल बाद प्रोजेक्ट चीता के तहत 17 सितंबर को नामीबिया से आठ चीतों को लाया गया । इनमे से सात अन्य चीतें स्वस्थ हैं। इनमें तीन नर और एक मादा खुले जंगल में छोड़े गए हैं। वह पूरी तरह से सक्रिय और स्वस्थ हैं। सामान्य रूप से शिकार कर रहे हैं। वही दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतें वर्तमान में क्वारेंटाइन बाड़ों में हैं और पूरी तरह स्वस्थ और सक्रिय हैं।
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