कुश्ती की नयी सनसनी सोनम मलिक
अरुण नैथानी
यह हैरत में डालने वाली बात है कि दो साल पहले जिस नवोदित महिला पहलवान के एक हाथ को लकवा मार गया हो और डॉक्टरों ने जवाब दे दिया हो, अब उसी हाथ को उठाकर रेफरी ने उसे राष्ट्रीय चैंपियन घोषित किया है। इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि उसने राष्ट्रीय चैंपियनशिप के फाइनल में ओलंपिक विजेता साक्षी मलिक को अपने वर्ग में चित किया। इस तरह उसने टोक्यो ओलंपिक के लिये भी अपनी दावेदारी को मजबूत कर दिया है।
ताजनगरी आगरा में हाल ही में संपन्न 23वीं सीनियर नेशनल महिला कुश्ती चैंपियनशिप में बड़ा उलटफेर करने वाली सोनम मलिक ने फाइनल में रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक को पटखनी दी। साक्षी 62 किलो भार वर्ग में रेलवे की तरफ से खेल रही थी। इस तरह उसने साक्षी के नेशनल चैंपियन बनने के सपने को तोड़ दिया। हालांकि, इससे पूर्व के तीन मुकाबलों में शानदार खेल दिखाकर साक्षी फाइनल की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी। दरअसल, इससे पहले भी सोनम साक्षी को दो बार हरा चुकी है। पिछले साल जनवरी में एशियाई चैंपियनशिप के ट्रायल और फरवरी में एशियाई ओलंपिक क्वॉलीफायर में वह साक्षी को हरा चुकी है। यही मनोवैज्ञानिक दबाव सोनम ने इस मुकाबले में भी बनाये रखा और राष्ट्रीय चैंपियन बनने में कामयाब रही। इस मुकाबले में सोनम ने साक्षी को 7-4 से हराया।
एक वक्त था जब सोनम के एक हाथ में लकवा मार गया था तो उसकी सारी उम्मीदें निराशा में डूब गई थीं। दरअसल, 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने के बाद सोनम को दाहिने हाथ में दिक्कत हुई और उसे टूर्नामेंट बीच में ही छोडऩा पड़ा था। तब डॉक्टर ने सोनम को छह माह का बेड रेस्ट भी बताया था। लेकिन मजबूत आत्मविश्वास वाली सोनम ने हौसला नहीं खोया। उसने न केवल अपना दाहिना हाथ ठीक किया बल्कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी जीती। डॉक्टर भी आश्वस्त नहीं थे कि वह फिर कुश्ती में बेहतर कर पायेगी। घर की माली हालत ऐसी न थी कि महंगा इलाज करा सके। लेकिन पहलवान रहे पिता ने हार नहीं मानी। अपनी आर्थिक सीमाओं के मद्देनजर उन्होंने परंपरागत आयुर्वेद उपचार कराया और उनकी मेहनत रंग लायी। सोनम ने आत्मविश्वास से न केवल वापसी की बल्कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी जीत ली। सोनम ने कुश्ती में उसी दाहिने हाथ से साक्षी को शिकस्त दी, जिसे डॉक्टर कह रहे थे कि इसका ठीक होना मुश्किल है।
यह संयोग ही है कि जिस साक्षी को रियो ओलंपिक में पदक लेता देख सोनम का मनोबल बढ़ा था, आज उसी सोनम ने उसी साक्षी मलिक को पटखनी देकर राष्ट्रीय चैंपियनशिप हासिल कर ली है। दरअसल, सामान्य परिवार की सोनम को पहलवानी का शौक घर के परिवेश से मिला। रोहतक के मदीना गांव के राजेंद्र मलिक कभी पहलवानी किया करते थे लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। अपनी सीमाओं को महसूस करते हुए उन्होंने परिवार के भरणपोषण के लिए एक चीनी मिल में नौकरी कर ली। यह सोचकर कि मेरे बच्चे मेरे अधूरे सपने को पूरा करेंगे। सही मायनो में सोनम ने पापा का सपना पूरा भी किया। सोनम ने जब होश संभाला तो उसे कुश्ती आकर्षित करती थी। उसका चचेरा भाई भी कुश्ती करता था तो आसपास के गांव में वह भी कुश्ती देखने जाया करती थी।
एक बार कुश्ती के पारखी और कोच अजमेर मलिक की नजर अखाड़े में सोनम पर पड़ी। उन्होंने सोनम की प्रतिभा को पहचाना और परिवार को उसे अकेडमी भेजने के लिये तैयार कर लिया। पिता राजेंद्र के सपनों को यह पंख लगने जैसा था। कोच का साथ मिलने से सोनम की प्रतिभा को संवारने का मौका मिला। कुशल हाथों से प्रशिक्षण मिलने से सोनम सोना बनती गई। फिर क्या था, जिले से लेकर राज्यस्तर तक की स्पर्धाओं में सोनम भागीदारी करती गई। हर टूर्नामेंट में जाती और कोई न कोई इनाम लेकर लौटती।
सोनम के लिये हरियाणा के विश्वविख्यात पहलवान और दो बार ओलंपिक चैंपियन सुशील कुमार तथा योगेश्वर दत्त प्रेरणा के प्रतीक रहे हैं। साक्षी मलिक का रियो ओलंपिक में पदक जीतना सोनम को प्रेरणा दे गया। सोनम अपनी सफलता का श्रेय पिता के साथ कोच अजमेर मलिक को देती है।
सोनम ने अपने कैरियर में थाईलैंड में 2016 में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में कांस्य, 2017 में क्रोएशिया में एशियन चैंपियनशिप में रजत, 2017 में एथेंस में आयोजित कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण, 2017 में वर्ल्ड स्कूल गेम्स में स्वर्ण, वर्ष 2018 में अर्जेंटीना में वर्ल्ड कैडेट चैंपियनशिप में कांस्य, वर्ष 2019 में कजाखिस्तान में एशियन चैंपियनशिप में रजत तथा इसी साल बुल्गारिया में हुई कैडेट वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी धाक जमायी। उससे टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन की उम्मीद लगायी जा रही है। सुशील कुमार के बाद विश्व कैडेट चैंपियनशिप में दो बार स्वर्ण जीतने वाली वह भारत की पहली खिलाड़ी है। इसलिये विश्व कुश्ती में उनको लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। रोहतक के जाट कालेज का प्रतिनिधित्व करने वाली सोनम को लेकर हरियाणा और देश की उम्मीदें उफान पर हैं। सोनम को दंगल फिल्म रोमांचित करती है। उसका कहना है कि फिल्म देखकर उसमें जोश भर जाता है। हर रोज पांच-छह घंटे अभ्यास करने वाली सोनम हर प्रतियोगिता में जाने से पहले पिता का आशीर्वाद लेना नहीं भूलती।