एनटीपीसी बैराज नहीं होता तो निचले इलाकों में भारी तबाही होती
चमोली/देहरादून. केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को कहा कि इतनी बड़ी इस त्रासदी में पानी एवं मलबे के तेज बहाव को रोकने में राष्ट्रीय तापविद्युत निगम लिमिटेड (एनटीपीसी) बैराज के मजबूत ढ़ांचे ने बड़ा काम किया, अन्यथा पानी का यह आवेग राज्य के नीचे के क्षेत्रों में भारी तबाह का कारण बन सकता था।
ऊर्जा मंत्री सिंह ने आज जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से आयी आपदा से रैणी एवं तपोवन क्षेत्र में हुए नुकसान का स्थलीय निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना का काम दोबारा शुरू किया जाएगा।
आपदाग्रस्त क्षेत्र से लौटते हुए जौलीग्रान्ट एयरपोर्ट पर संवाददाताओं से अनौपचारिक वार्ता करते हुए ऊर्जा मंत्री सिंह ने बताया कि तपोवन और ऋषि गंगा परियोजनाओं को लगभग 15 सौ करोड़ की क्षति हुई है। वर्ष 2023 तक 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना का कार्य पूर्ण होना था। लेकिन परियोजना बैराज और टनल में मलबा पसरा है। इसे हटाने में समय लगेगा। इसके बाद परियोजना निर्माण कार्य दोबारा चालू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रेस्कयू वर्क आईटीबीपी, आर्मी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ एवं स्थानीय पुलिस द्वारा आपसी समन्वय के साथ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस आपदा में कार्यरत एक विद्युत परियोजना पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी है, जबकि तपोवन स्थित एनटीपीसी को भी काफी क्षति पंहुची है।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में हुए नुकसान के कारणों की इसरो की इमेजेज के आधार पर एनटीपीसी, टीएचडीसी एवं एसजेवीएनएल के पदाधिकारी भी अध्ययन करेंगे, इनकी एक टीम पैदल भी क्षेत्र को भ्रमण के लिये जायेगी। उन्होंने कहा कि ऐसी आपदाओं की पूर्व जानकारी के लिये जिन हिल स्टेट में एनटीपीसी आदि के पावर प्रोजेक्ट हैं वहां पर प्रोजेक्ट के साथ ही स्थानीय लोगों के व्यापक हित में अर्लि वार्निग सिस्टम प्रणाली उपलब्ध करायी जायेगी। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में भारी हिमपात के कारण उत्पन्न हिमस्खलन आदि की घटनाओं की पूर्व में जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी इस त्रासदी में पानी एवं मलबे के तेज बहाव को रोकने में एनटीपीसी बैराज के मजबूत ढ़ांचे ने बड़ा काम किया। अन्यथा पानी का यह आवेग राज्य के नीचे के क्षेत्रों में भारी तबाह का कारण बन सकता था। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में जिस प्रकार पानी के बहाव को टिहरी बांध ने रोकने का कार्य किया उसी तरह इस बैराज ने भी पानी को रोकने का कार्य किया।
उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना में काफी लोग मिसिंग है जिनमें एनटीपीसी के 91 तथा निजी कम्पनी के 44 लोग भी शामिल है, जितने लोग लापता हैं उनको तलाशने का कार्य तेजी में किया जा रहा है। अब तक 20 शव बरामद किये जा चुके हैं। क्षेत्र के गांवो के भी कुछ लोग लापता है जिनमें दो पुलिस वाले भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि मृतक के आश्रितों को राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध करायी जा रही है जबकि एनटीपीसी के जो कार्मिक लापता हैं जिनके जीवित होने की उम्मीद कम है, उनके परिवारों को ऊचाहार की दुर्घटना की भांति 20 लाख की आर्थिक सहायता दी जायेगी। उन्होंने कहा कि गांव के मिसिंग लोगों की कैसे बेहतर ढ़ंग से मदद की जाय इसकी भी योजना बनायी जा रही है।
ऊर्जा मंत्री सिंह ने कहा कि यदि प्रभावित गांव वालों को एनटीपीसी में यदि वे चाहेंगे तो उन्हें काम दिया जायेगा इसके अतिरिक्त सीएसआर के तहत भी पीडितों की मदद की जायेगी। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के टनलो को अभी लोडरो से डिसिल्ट किया जा रहा है, उसमें और तेजी लाये जाने के लिए 5 स्लडी पंपो की व्यवस्था की जा रही है।
इस अवसर पर उत्तराखंड की ऊर्जा सचिव राधिका झा भी उपस्थित थी।