छत्तीसगढ़ का उभरता हुआ सितारा- मधुमिता
फिल्म उद्योग शायद ही कभी दयालु होता है इसका कारण यह है की यह एक ऐसी जगह है जहा कोई निर्धारित नियम नहीं है। कोई भी सफलता या विफलता की भविष्यवाणी नहीं कर सकता। मधुमिता एक ऐसी प्रतिभा है, जिसने कभी भी अपनी कामयाबी के रास्ते में आने वाले पत्थर को कड़ी मेहनत करने और इस उत्साह को वृद्धि के लिए एक बिंदु नहीं बनने दिया। मधुमिता की आने वाली पहली फिल्म ‘साक्षी’ का गाना ‘रिस्की-रिस्की’ रिलीज़ होने के साथ ही इंटरनेट का रिकॉर्ड तोड़ रहा है। यह गीत एक आइटम नंबर है, जिसे ऐसे सादर्यपूर्ण तरीके से चिरित किया गया है और रिलीज होने के साथ ही सोशल मीडिया पर छा गया है।
मधुमिता से समपर्क करने पर, उन्होंने व्यक्त किया की आखिरकार उनका काम सुबह की रौशनी देख रहा है और इतने लम्बे पैर के बाद उनका भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है। अपने वक्तव्य को जारी रखते हुए रूपक के रूप में कहती है की. वे लोग जो अपने अथक परिश्रम और जूनून के साथ, सच्चाई के साथ, मौका के बारे में अनजान रहते है क्यूकि, वह अपने काड को मेज पर गलत दिशा में गलत तरीके से विकृत रूप में प्रस्तुत करते है।
छतीसगढ़ के एक छोटे से शहर नवपारा राजिम से आने वाली इस अदाकारा का सफर किसी बड़े कॉस्मोपॉलिटन से आने वाली लड़कियों से पूर्णतः भिन्न या क्यूंकि एक विनम पृष्ठ भूमि से ताल्लुक रखने वाली इस लड़की का फिल्म उद्योग के दरवाजे पे पैर रखना ही काफी चुनौतीपूर्ण था। फिल्म उद्योग में आने के लिए मधुमिता की खोज रायपुर से मास्टर्स ऑफ बायोटेक्नोलॉजी में पढ़ाई पूरी करने और उनके कलात्मक प्रयास के लिए उनके परिवार को समझाने के बाद शुरू हुई। उन्होंने निडरता के साथ उस दरवाज़े को पार करने की ठान ली जिसके बारे में उनके पैतृक नगर के किसी भी शख्स ने कभी नहीं सोचा था। बॉलीवुड में फिल्मों में काम करने के लिए उन्होंने ना सिर्फ एक साहसी कदम उठाया बल्कि सभी लोगो का अपने पक्ष में मंतव्य भी बनाया।
सह अभिनेता विक्रम मस्तल ने मधुमिता और उसके ऊर्जावान प्रदर्शन की तारीफ करते की। फ़िल्म के निर्देशक अजय राम ने कहा की “मधुमिता एक ऐसी अभिनेत्री है जो सेट पे स्विच- ऑन और ऑफ गुणों के साथ जादू करती हैं और अपनी कलात्मक प्रस्तुति में कैमरा के सामने पूर्णतः समर्पित हैं।” “रिस्की-रिस्की’ गीत सुनिधि चौहान द्वारा गाया गया है, संगीतकार आसिफ इकबाल द्वारा रचित है और गीत के बोल जमील अहमद ने लिखे है।
मधुमिता अपने आने वाले, संवाद टीज़र की ओर आशावान है ताकि जनता उनके अभीनयत्रिक कौशल को भी उसी तरह सराहे जिस तरह उन्होंने गीत रिस्की- रिस्की को सराहा है। कोविड महामारी के व्यापक तालाबंदी के बाद आशावाद अब चरम सीमा पर है क्यूंकि फिल्म की रिलीज़ सिनेमा हॉल में में होगी।