सच्चाई : भारतीय कभी आत्मनिर्भर थे ही नहीं

धर्मपाल महेंद्र जैन 
अभी तक आत्मा के इधर-उधर घुसने के बारे में सुना था। इस बार आत्मा, निर्भरता को साथ ले गई तो ऑक्सफोर्ड की इंग्लिश डिक्शनरी में आत्मनिर्भरता शब्द घुस गया। पड़ोसी को मेरे आत्मनिर्भर आनंद से जलन हो उठी। उन्होंने व्यंग्य से पूछा-क्या कर रहे हैं? मैंने कहा-‘आत्मनिर्भरता का आनंद ले रहे हैं। आप दूसरों को ताडऩा बंद कीजिए और ख़ुद आत्मनिर्भर हो जाइए।’ वे आत्मनिर्भर होने घर में घुस गए। घर में घुसा आदमी कभी आत्मनिर्भर हुआ है भला।
स्कूल में मास्टरजी कहते थे-आत्मनिर्भर बनो पर मुर्गा बना देते थे। बुजुर्ग आत्मनिर्भर बनने की सलाह देते थे तो ब्याह करा देते थे। अफ़सर लोग सेल्फ-डिपेंडेंट बनने का उपदेश देते थे पर अपने निजी काम करने भेज देते थे। हम जगत गुरु बन गए पर आत्मनिर्भर नहीं बन पाए।
कुछ मामलों में हम जो आत्मनिर्भर बने, वह उल्टी दिशा में बने। अमेरिका उधार देता था तो हम उसे अनुदान समझते थे, दुत्कारता था तो प्यार समझते थे। उनके सिरफिरे राष्ट्रपति भारत आए तो हमने मनवा दिया कि हम भीड़ जुटाने में आत्मनिर्भर हैं। फाइलों के मामले में देश आत्मनिर्भर है। दफ्तरों में इतनी फ़ाइलें हैं कि दस-बीस सरकारें कुछ भी नहीं करें तो भी दफ़्तर चलते रहें। बीमा कंपनियों के क्लेम रिकॉर्ड देखें तो लगेगा मरीजों के मामलों में हमारा देश आत्मनिर्भर है। हमारे बैंकों ने जितने पशु लोन दिए हैं, उस हिसाब से देश में पशु ही पशु होने चाहिये। जितने उद्योग कागज पर हैं, उतने सही में हों तो आदमी के लिए जगह ही नहीं बचे। पर आप डरे नहीं, हम बैठे-बैठे आंकड़े बनाने में आत्मनिर्भर हैं।
एक बाबा ने मुझे फॉर्मूला बताया। कहा-सवेरे उठकर बड़ी मात्रा में धन खा लो, तुम आत्मनिर्भर बन जाओगे। मैंने यह फॉर्मूला बड़े साहब को बताया। उन्होंने इसे ऊपर बताया, ऊपर वाले ने और ऊपर। तब कहीं वित्तमंत्री को समझ आया कि सिस्टम में करोड़ों-करोड़ रुपए डालेंगे तो लोग पैसे खा सकेंगे। सरकारी पैसे खाए बिना आत्मनिर्भर नहीं बना जा सकता। मुफ्त के दो पैग में आत्मनिर्भरता बोलने लगती है। इसलिए समझदार लोग लंबी लाइनों में लग कर लाख-लाख रुपयों की शराब खरीदते हैं। दो पैग गटको और दाता को गटकाओ तो सरकारी पैसा पाते ही आत्मनिर्भरता प्रकट हो जाती है।
सरकारें जानती हैं करोड़ों रुपये किन्हें आत्मनिर्भर बनायेंगे। बहुमत में विधायक कम पड़ेंगे तो ये करोड़ों रुपये विपक्षी विधायकों को देकर वे आत्मनिर्भर सरकार बनायेंगे। अपने विधायक को आत्मनिर्भर मुख्यमंत्री बनाएंगे। वे जानते हैं उनके संगी राजनेता आत्मनिर्भर होंगे तो देश भी आत्मनिर्भर होगा। सच कहूं, हम भारतीय कभी आत्मनिर्भर थे ही नहीं। हम ख़ुद उठकर पानी नहीं पी सकते, वोट देने नहीं जा सकते। ऑक्सफोर्ड ने आत्मनिर्भरता को तवज्जो देकर हमें फिर छला है। ऐसी शाब्दिक आत्मनिर्भरता के क्या मायने।

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