देश में Antibiotics का यूज 30% बढ़ा, गलत इस्तेमाल से नुकसान

अक्सर जब सामान्य दवाओं से मरीज को आराम नहीं मिलता तो डॉक्टर एंटीबायोटिक का रुख करतें हैं। लेकिन भारत में आधे लोग तो खुद डॉक्टर होते हैं। मन से ही दवाएं ले लेते हैं और यही कारण है कि पिछले 10 साल में भारत में एंटीबायोटिक का प्रयोग 30 फीसदी बढ़ गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एंटीबायोटिक अगर बिना जानकारी के ली जाए तो वो फायदे की जगह नुकसान ज्यादा करती है। यहां तक की आपकी सेहत पर बहुत बुरा असर डालती है और आपकी किडनी को काफी डेमेज कर सकती है। वर्ल्ड एंटीबायोटिक्स रिपोर्ट में भारत का नाम प्रमुखता से आया है।
एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बढ़ा
देश में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बढ़ गया है। भारत में 10 साल में 30% इसका इस्तेमाल बढ़ा है। वर्ल्ड एंटीबायोटिक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 47% तक इस्तेमाल बढ़ गया है। बहुत से लोग अपने मन से ही इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
क्या होती हैं एंटीबायोटिक?
एंटीमाइक्रोबियल दवाएं बैक्टीरिया पर हमला करती हैं। ये बैक्टीरियल ग्रोथ कम करती हैं।
एंटीबायोटिक कब लेना चाहिए?
बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर इसका उपयोग कर सकते हैं। स्किन, दांत में इंफेक्शन और वायरल इंफेक्शन में कारगर नहीं हैं।
एंटीबायोटिक कब नहीं लेना चाहिए?
जुकाम, गला दर्द, बुखार वायरल इंफेक्शन में इसे नहीं लिया जाता है।
नैरो एंटीबायोटिक
जब बैक्टीरिया के बारे में पता होता है, तब यह तय बैक्टीरिया को मारती है। एंटीबायोटिक लेते वक्त आपको ध्यान रखना होगा कि इंफेक्शन किस तरह का है। इसका कोर्स पूरा करना चाहिए। डोज और ड्यूरेशन निश्चित होना जरूरी है।
एंटीबायोटिक की अवधि
वाटर इंफेक्शन में 1-2 दिन की अवधि तक लेना चाहिए। निमोनिया में 1-2 हफ्ते तक लेना चाहिए। बोन इंफेक्शन में कुछ महीनों तक ही लिया जा सकता है।
एंटीबायोटिक्स के आम साइड इफेक्ट
इसमें एसिडिटी, लूज मोशन, डायरिया, ड्रग रैश, स्किन रिएक्शन जैसे चीजें देखने को मिलती हैं।
एंटीबायोटिक्स के बड़े साइड इफेक्ट
इससे किडनी फेल होना, ऑस्टियोपोरिसिस, बोन मैरो सेपरेशन और साइकेट्रिक सिम्पटम्स के लक्षण दिखाई देते हैं।

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