प्रतिक्रिया हमें कामयाब या नाकाम बनाती है

एक बार दोस्तों का एक ग्रुप पहाड़ों पर घूमने के लिए निकलता है। रास्ते में लंच करने के लिए वह हाईवे पर गाड़ी रोकते हैं और वहां स्थित एक होटल में घुसते हैं। अंदर करीब 50 के आसपास लोग खाना खा रहे होते हैं। सभी ने अपनी अपनी पसंद की चीजें आर्डर की और सब लोग इ्त्मीनान के साथ खाना खाने लगे।

तभी कहीं से एक कॉकरोच उड़कर उस महिला के कंधे पर आकर बैठ गया बस फिर क्या था महिला चीखने चिल्लाने लगी। उसे देखकर उसके दोस्त ही नहीं बल्कि होटल के और लोग भी चिल्लाने लगे। महिला छटपटाने लगी।

तभी कॉकरोच ने फिर उड़ान भरी और इस बार दूसरी टेबल पर बैठी एक महिला के कान पर जाकर बैठ गया। वह महिला भी चीखने चिल्लाने लगी। इस तरह वह कॉकरेज चार पांच लोगों के पास जाकर बैठा, हर कोई छटपटाया। कुछ ने उसे मारने की कोशिश की लेकिन वह पकड़ में नहीं आया।

वहीं पीछे एक वेटर खड़ा था जो सब कुछ देख रहा था। जब तक वह कुछ समझता, कॉकरोच फिर से उड़कर वेटर की नाक पर जाकर बैठ गया। लेकिन वेटर नहीं चिल्लाया, वह एकदम स्थिर होकर खड़ा हो गया और उसने कॉकरोच को भी स्थिर किया। फिर धीरे से उसने अपना हाथ उठाया और कॉकरोच को हाथ से पकड़ कर होटल के बाहर फेंक दिया। अब सोचने वाली बात यह है कि केवल कॉकरोच कि किसी के ऊपर बैठ जाने से होटल में इतनी हलचल मच गई। लेकिन कॉकरोच तो वेटर के ऊपर भी बैठा था। लेकिन वह एक दम शांत था और समस्या का हल निकाला।

अगर वेटर भी घबरा जाता और चीखने चिल्लाने लगता तो वह भी स्थिति को काबू नहीं कर पाता और समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाता।

सीख: इस कहानी से यही सारांश निकलता है कि हमारी सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि हम चुनौतियों के प्रति कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं|

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